इस्लामाबाद/वाशिंगटन: पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए औपचारिक रूप से नामित करने का फैसला किया है। पाकिस्तान सरकार ने दावा किया कि ट्रंप ने हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान “निर्णायक कूटनीतिक हस्तक्षेप” और “महत्वपूर्ण नेतृत्व” दिखाकर युद्ध को टाला। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में 18 जून 2025 को आमंत्रित किया था, जिसे पाकिस्तान अपनी कूटनीतिक जीत मान रहा है।
पाकिस्तान का दावा और घोषणा
पाकिस्तान सरकार ने X पर आधिकारिक बयान जारी कर कहा, “पाकिस्तान सरकार ने 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप को नामित करने का निर्णय लिया है। उनकी कूटनीतिक पहल ने भारत-पाकिस्तान संकट को गहराने से रोका और दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच व्यापक संघर्ष को टाला।” पाकिस्तान ने इसे 2025 के भारत-पाक संकट का नाम दिया, जिसमें अप्रैल 2022 के पहलगाम आतंकी हमले (26 लोगों की मौत) के बाद तनाव बढ़ा। भारत ने 7 मई को ऑपरेशन कोबरा शुरू कर पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों में आतंकी ठिकानों पर हमले किए, जिसके जवाब में चार दिन तक सीमा पर भारी गोलीबारी हुई। 10 मई को दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच सीजफायर हुआ।
ट्रंप और मुनीर की मुलाकात
नामांकन से ठीक पहले ट्रंप ने जनरल आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में लंच के लिए बुलाया। व्हाइट हाउस प्रवक्ता एना केली ने बताया कि यह मुलाकात मुनीर के ट्रंप को नोबेल के लिए समर्थन देने के बाद हुई। पाकिस्तानी अखबार Dawn ने इसे इस्लामाबाद की “बड़ी कूटनीतिक सफलता” बताया। web:2,8 हालांकि, भारत ने ट्रंप की मध्यस्थता के दावे को खारिज किया। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा, “10 मई का सीजफायर भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच सीधी बातचीत का नतीजा था। इसमें अमेरिका या किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 जून को ट्रंप से 35 मिनट की फोन कॉल में भी यही स्पष्ट किया।
ट्रंप का रुख: “मुझे नोबेल नहीं मिलेगा”
ट्रंप ने 20 जून को एक इंटरव्यू में कहा, “मुझे नोबेल शांति पुरस्कार चार-पांच बार मिल जाना चाहिए था। भारत-पाकिस्तान युद्ध रोकने, रवांडा-कांगो शांति संधि, या सर्बिया-कोसोवो में शांति के लिए भी। लेकिन यह पुरस्कार सिर्फ लिबरल्स को मिलता है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों को “ट्रेड-फोकस्ड” रुख अपनाने के लिए मनाया। हालांकि, भारत ने ट्रंप के ट्रेड डील के दावे को भी खारिज किया।
विवाद और प्रतिक्रियाएं
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पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने ANI को बताया, “ट्रंप की नोबेल की चाहत उनकी ऐतिहासिक समझ की कमी दिखाती है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख को बुलाना सुरक्षा के लिए जोखिम भरा हो सकता है।”
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X पर #NobelPeacePrize और #IndiaPakistan ट्रेंड कर रहे हैं। कुछ यूजर्स इसे पाकिस्तान की चाटुकारिता बता रहे हैं, जबकि अन्य इसे ट्रंप की कूटनीति की जीत मान रहे हैं।
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पाकिस्तान ने ट्रंप की कश्मीर मध्यस्थता की पेशकश की भी तारीफ की, लेकिन भारत ने इसे ठुकराते हुए कहा, “कश्मीर पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं।”
पहले भी नामांकन
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप को नोबेल के लिए नामित किया गया। अब्राहम अकॉर्ड्स और अन्य कूटनीतिक प्रयासों के लिए उनके समर्थक सांसद पहले भी नामांकन कर चुके हैं। ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के 2009 में नोबेल जीतने का जिक्र कर अपनी नाराजगी जताई।
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