ईरान-इजरायल युद्ध: तनाव चरम पर, IDF ने मारा ईरानी मेजर जनरल, रजा शाह पहलवी ने खामेनेई पर साधा निशाना

तेहरान/यरुशलम: ईरान और इजरायल के बीच 13 जून 2025 से शुरू हुआ सैन्य संघर्ष अब भयावह मोड़ ले चुका है। इजरायल के हवाई हमले और ईरान के जवाबी मिसाइल हमलों ने दोनों देशों की जनता को दहशत में डाल दिया है। इजरायली नागरिक बंकरों में छिपने को मजबूर हैं, जबकि तेहरान की जनता शहर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जा रही है। इस बीच, इजरायल ने दावा किया कि उसने ईरानी मेजर जनरल अली शादमानी को एक हवाई हमले में मार गिराया है। दूसरी ओर, ईरान के पूर्व शाही परिवार के वारिस रजा शाह पहलवी ने सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई पर निशाना साधते हुए युद्ध को उनकी निजी महत्वाकांक्षा बताया है।

संघर्ष का ताजा हाल

इजरायल ने 13 जून को “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले शुरू किए, जिसके जवाब में ईरान ने 14 और 15 जून को इजरायल पर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इन हमलों ने इजरायल में रेड अलर्ट सायरन बजा दिए, और नागरिकों को सुरक्षित कमरों में शरण लेनी पड़ी। तेहरान में भी हवाई हमलों के डर से लोग शहर छोड़ रहे हैं। ईरान के यूएन दूत ने इजरायल पर “सभी लाल रेखाएं पार करने” का आरोप लगाया।

मंगलवार, 17 जून 2025 को इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने दावा किया कि उसने ईरानी मेजर जनरल अली शादमानी को एक टारगेटेड हवाई हमले में मार गिराया। शादमानी ने चार दिन पहले ही इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) में अहम पद संभाला था। इस हमले ने ईरान को बड़ा झटका दिया है, और तेहरान ने जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

नेतन्याहू का बयान

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक वीडियो संदेश में कहा, “जब तक ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई की मौत नहीं हो जाती, यह युद्ध जारी रहेगा।” उनके इस बयान ने वैश्विक समुदाय में हलचल मचा दी है। नेतन्याहू ने ईरान को “क्षेत्रीय अस्थिरता का स्रोत” करार देते हुए अपने हमलों को आत्मरक्षा बताया।

रजा शाह पहलवी का खामेनेई पर हमला

ईरान के पूर्व शाही परिवार के वारिस रजा शाह पहलवी ने इस युद्ध को खामेनेई की निजी जिद बताया। पहलवी के पिता, शाह मोहम्मद रजा पहलवी, 1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले ईरान के शासक थे। क्रांति के बाद उनका परिवार देश छोड़कर चला गया। रजा, जो अमेरिका में निर्वासन में रहते हैं, ने एक साक्षात्कार में कहा, “यह युद्ध ईरानी जनता का नहीं, खामेनेई का है। 40 साल से मैं ईरान में लोकतंत्र के लिए लड़ रहा हूं। यह युद्ध सरकार को कमजोर करेगा, और इसका अंत कुछ भी हो सकता है।”

पहलवी ने खामेनेई पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी नीतियां ईरान को तबाही की ओर ले जा रही हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ईरानी जनता का समर्थन करने की अपील की।

ईरान का जवाब

ईरान के सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने चेतावनी दी कि अगर इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, तो “इजरायल के गुप्त परमाणु ठिकानों पर जबरदस्त जवाबी कार्रवाई होगी।” ईरानी धार्मिक नेता अयातुल्ला मौसवी ने इसे “इस्लामिक उम्माह के खिलाफ साजिश” करार देते हुए मुस्लिम देशों से एकजुट होने की अपील की।

वैश्विक प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपातकालीन बैठक बुलाई, लेकिन कोई ठोस प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। अमेरिका ने इजरायल के “आत्मरक्षा के अधिकार” का समर्थन किया, जबकि रूस और चीन ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की मांग की। भारत ने अपने 10,000 नागरिकों, खासकर 6,000 छात्रों, को ईरान से निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया है।

प्रभाव और चुनौतियां

  • ईरान: हवाई हमलों के डर से तेहरान, इस्फहान, और क़ोम जैसे शहरों में जनजीवन ठप है। ईरान का हवाई क्षेत्र बंद होने से निकासी में दिक्कतें आ रही हैं।

  • इजरायल: मिसाइल हमलों के कारण तेल अवीव और हाइफा में स्कूल बंद हैं, और आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं।

  • क्षेत्रीय तनाव: लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन में हूती विद्रोहियों ने इजरायल के खिलाफ हमलों की धमकी दी है, जिससे युद्ध के क्षेत्रीयकरण का खतरा बढ़ गया है।

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