अडानी ग्रुप का 100 अरब डॉलर का मेगा कैपेक्स प्लान: रिन्यूएबल एनर्जी पर होगा सबसे ज्यादा फोकस

अहमदाबाद: गौतम अडानी के नेतृत्व वाला अडानी ग्रुप अगले 6 सालों में 100 अरब डॉलर (लगभग 8.4 लाख करोड़ रुपये) के पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) की योजना बना रहा है, जो भारत में किसी निजी समूह का अब तक का सबसे बड़ा निवेश होगा। यह निवेश मुख्य रूप से रिन्यूएबल एनर्जी, कंस्ट्रक्शन मटेरियल और माइनिंग-मेटल सेक्टर में होगा, जिसमें 83-85% हिस्सा एनर्जी सेक्टर, खासकर रिन्यूएबल एनर्जी और स्टोरेज पर खर्च होगा। अडानी ग्रुप के CFO जुगशिंदर सिंह ने कहा कि यह पूरी तरह से ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स पर आधारित है, न कि अधिग्रहण पर। इस योजना से ग्रुप की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता 7 गुना और कन्वेंशनल एनर्जी क्षमता दोगुनी होगी।

कैपेक्स का बंटवारा और लक्ष्य

अडानी ग्रुप के CFO जुगशिंदर सिंह ने बताया कि 100 अरब डॉलर के कैपेक्स का 83-85% एनर्जी सेक्टर में जाएगा, जिसमें रिन्यूएबल एनर्जी और स्टोरेज पर विशेष जोर होगा। 10% निवेश कंस्ट्रक्शन मटेरियल और 6-7% माइनिंग व मेटल बिजनेस में लगाया जाएगा। मार्च 2025 तक अडानी ग्रीन एनर्जी की क्षमता 14.2 गीगावाट और अडानी पावर की 16.54 गीगावाट थी। इस निवेश से रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता में 7 गुना वृद्धि होगी, जिससे भारत की नेट-जीरो महत्वाकांक्षा को बल मिलेगा। ग्रुप का लक्ष्य 2030 तक 50 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता हासिल करना है, जिसमें गुजरात के खावड़ा में दुनिया का सबसे बड़ा 30 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी पार्क शामिल है।

फंडिंग की रणनीति

कैपेक्स के लिए फंडिंग का 80,000 करोड़ रुपये सालाना इंटरनल कैश फ्लो से, 15,000 करोड़ रुपये सेटलमेंट पेमेंट्स से, और 12,000-14,000 करोड़ रुपये EPC प्रॉफिट से जुटाया जाएगा। बाकी 40,000-50,000 करोड़ रुपये की बाहरी फंडिंग की जरूरत होगी। ग्रुप हर साल 24,000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाता है, जिससे नेट डेट में केवल 25,000 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। CFO सिंह ने कहा कि ग्रुप का डेट उसकी वृद्धि की तुलना में बहुत कम दर से बढ़ रहा है। 40% कर्ज घरेलू बैंकों, 40% वैश्विक बैंकों और वित्तीय संस्थानों, और 20% घरेलू कैपिटल मार्केट से लिया जाता है।

अन्य सेक्टर और प्रभाव

कंस्ट्रक्शन मटेरियल में अडानी ग्रुप की हालिया अधिग्रहण, जैसे अंबुजा सीमेंट्स और ACC, ने इसे देश का दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट निर्माता बनाया है। माइनिंग और मेटल सेक्टर में भी ग्रुप का विस्तार हो रहा है, जिसमें गुजरात में मैंगनीज ओर माइनिंग के लिए GMDC के साथ 51:49 का जॉइंट वेंचर शामिल है। इस निवेश से संगठनात्मक क्षमता, तकनीक और वेंडर इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही 16 अरब डॉलर का रिटर्न ऑन कैपिटल अपेक्षित है। यह योजना भारत की डिजिटल और एनर्जी ट्रांजिशन को गति देगी, जिसमें ग्रीन हाइड्रोजन, सोलर पैनल और विंड टरबाइन मैन्युफैक्चरिंग के लिए तीन गीगा-फैक्ट्रीज का निर्माण शामिल है।

डिस्क्लेमर: यह लेख विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श करें।

Also Read-

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.23 अरब डॉलर घटा, गोल्ड रिजर्व में इजाफा; पाकिस्तान के भंडार में भी गिरावट

Share in Your Feed

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *