Turky News: तुर्की इस समय एक गंभीर जनसंख्या संकट का सामना कर रहा है, जो न तो आर्थिक और न ही राजनीतिक, बल्कि देश की घटती जन्म दर से जुड़ा है। राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इसे “युद्ध से भी बड़ा खतरा” करार देते हुए गहरी चिंता व्यक्त की है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, तुर्की की प्रजनन दर 2001 में प्रति महिला 2.38 बच्चों से गिरकर 2025 में 1.48 पर आ गई है, जो जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए आवश्यक 2.1 के स्तर से काफी नीचे है।इस संकट से निपटने के लिए तुर्की सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
राष्ट्रपति एर्दोगन ने 2025 को ‘परिवार वर्ष’ घोषित किया है और 2026 से शुरू होने वाले दशक को ‘परिवार का दशक’ के रूप में मनाने की घोषणा की है। सरकार ने नवविवाहित जोड़ों को बच्चों के जन्म के लिए आर्थिक प्रोत्साहन, पैतृक अवकाश, आवास सब्सिडी और सस्ती चाइल्डकेयर सुविधाओं की पेशकश की है। एर्दोगन ने महिलाओं से कम से कम तीन बच्चे पैदा करने की अपील की है, ताकि देश की जनसंख्या को स्थिर किया जा सके। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ये उपाय तत्काल राहत देने में सक्षम नहीं हो सकते।
तुर्की इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है, जहां उच्च मुद्रास्फीति और नौकरियों की कमी ने लोगों को परिवार बढ़ाने से हतोत्साहित किया है। 2024 में देश में केवल 9.37 लाख बच्चों का जन्म हुआ, जो अब तक का सबसे निचला आंकड़ा है। नारीवादी कार्यकर्ता बेरिन सोनमेज ने कहा, “महिलाओं और LGBTQ+ समुदाय को घटती जन्म दर का दोषी ठहराया जा रहा है, जबकि आर्थिक अनिश्चितता और अपर्याप्त सरकारी सहायता असल कारण हैं।
“एर्दोगन का यह बयान कि जन्म दर में गिरावट का कारण आर्थिक नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक कारक हैं, विवादास्पद रहा है। कई लोगों का मानना है कि आर्थिक संकट और बदलती सामाजिक प्राथमिकताएं, जैसे देर से शादी और छोटे परिवारों की चाह, इस संकट को और गहरा रहे हैं।तुर्की के कुछ क्षेत्र, जैसे शानलीउरफा, अभी भी उच्च जन्म दर बनाए हुए हैं, जबकि बारतिन और एस्किशेहिर जैसे प्रांतों में स्थिति गंभीर है।
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