उत्तरी वजीरिस्तान: पाकिस्तानी सेना ने खैबर पख्तूनख्वा के उत्तरी वजीरिस्तान के हुरमुज इलाके में ड्रोन हमला कर अपने ही देश के चार मासूम बच्चों की जान ले ली। इस हमले में 38 लोग घायल हुए, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। आतंकियों को निशाना बनाने के नाम पर रिहायशी इलाकों में किए गए इस हमले ने पाकिस्तानी सेना और आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर के खिलाफ जनता का गुस्सा भड़का दिया है।
देर रात रिहायशी इलाकों पर बमबारी
पाकिस्तानी वायुसेना ने सोमवार देर रात मीर अली जिले के हुरमुज गांव में ड्रोन से हमला किया। स्थानीय लोगों के अनुसार, बच्चे और महिलाएं घरों में सो रहे थे जब बम गिराए गए। हमले में चार बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई, और मलबे में दबने से कई लोग घायल हुए। वायरल तस्वीरों में खेलते समय मारे गए बच्चों के शव देखकर इलाके में गम और गुस्सा फैल गया।
जनता का फूटा गुस्सा, सड़कें जाम
हमले के बाद उत्तरी वजीरिस्तान में आक्रोशित लोगों ने बच्चों के शवों के साथ मीर अली कैंटोनमेंट गेट पर प्रदर्शन किया और सड़क जाम कर दी। पेशावर में छात्रों ने पाकिस्तानी सेना और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। खैबर पख्तूनख्वा के राहत मंत्री हाजी नेक मुहम्मद दावर ने हमले की निंदा करते हुए कहा, “नागरिकों, खासकर बच्चों को निशाना बनाने वाली सैन्य कार्रवाइयां अस्वीकार्य हैं। हम हर मंच पर इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे।”
मुनीर और सरकार की चुप्पी
पाकिस्तानी सेना और आर्मी चीफ असीम मुनीर ने इस घटना पर कोई बयान नहीं दिया है। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी सवालों से बचते हुए चुप्पी साध ली। इस बीच, सोशल मीडिया पर पत्रकार और कार्यकर्ता सेना की इस कायराना कार्रवाई को बेनकाब कर रहे हैं। बलूच लेखक मीर यार बलोच ने इसे “पाकिस्तानी सेना की क्रूरता” करार देते हुए कहा, “इन बच्चों के सपने थे, लेकिन सेना ने उनका भविष्य छीन लिया।”
भ्रामक सूचना और सच्चाई
शुरुआत में कुछ मीडिया ने इसे बलूचिस्तान के कुजदार में आत्मघाती हमला बताया, जिसमें स्कूल बस को निशाना बनाया गया। हालांकि, जांच से साफ हुआ कि यह उत्तरी वजीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना का ड्रोन हमला था। इस भ्रामक खबर ने जनता के गुस्से को और भड़काया। जमीनी हकीकत यह है कि सेना की कार्रवाई ने निर्दोष नागरिकों को नुकसान पहुंचाया।
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