नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 पर्यटकों की हत्या हुई, के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक में पांच सख्त फैसले लिए गए, जिनका उद्देश्य सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने वाले पाकिस्तान पर दबाव बनाना है। यह हमला लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के सहयोगी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने किया था।
भारत के पांच बड़े फैसले
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सिंधु जल संधि स्थगित: 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह बंद नहीं करता।
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अटारी चेक पोस्ट बंद: एकीकृत चेक पोस्ट अटारी को तुरंत बंद कर दिया गया। वैध अनुमोदन वाले लोग 1 मई 2025 तक वापस आ सकते हैं।
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SAARC वीजा रद्द: पाकिस्तानी नागरिकों को SAARC वीजा छूट योजना (SVES) के तहत भारत यात्रा की अनुमति नहीं होगी। मौजूदा SVES वीजा रद्द होंगे, और भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ना होगा।
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पाकिस्तानी सैन्य सलाहकार निष्कासित: नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित घोषित किया गया। उन्हें एक सप्ताह में भारत छोड़ना होगा। भारत ने भी अपने सलाहकारों को पाकिस्तान से वापस बुलाया।
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उच्चायोगों में कर्मचारी कम: दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी, जिसे 1 मई 2025 तक और कम किया जाएगा।
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कठोर कार्रवाई का संदेश
CCS बैठक में पीएम मोदी ने कहा, “पहलगाम हमले के दोषियों और उनके समर्थकों को बख्शा नहीं जाएगा।” गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और NSA अजीत डोभाल ने बैठक में हिस्सा लिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “ये फैसले आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाते हैं।”
पृष्ठभूमि और प्रभाव
बैसरन घाटी में हुए हमले में आतंकियों ने हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर में तलाशी अभियान तेज है। ये फैसले भारत-पाक संबंधों में तनाव बढ़ा सकते हैं, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प को रेखांकित करते हैं। दिल्ली, मुंबई, जयपुर और यूपी में हाई अलर्ट है।