पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में हाल की घटनाएं, खासकर वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन, ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। मुर्शिदाबाद, मालदा, और दक्षिण 24 परगना जैसे जिलों में हिंसा, आगजनी, और पुलिस पर हमलों की खबरें सामने आई हैं, जिसमें तीन लोगों की मौत और 150 से अधिक गिरफ्तारियां हुईं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी सरकार पर पक्षपात और प्रशासनिक विफलता का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति शासन की मांग की है। उनका दावा है कि पुलिस “ममता के कैडर” की तरह काम कर रही है, और हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।
ममता सरकार का पक्ष और हिंसा पर रुख
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वक्फ कानून को लागू न करने का ऐलान किया है, इसे केंद्र सरकार का निर्णय बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने शांति की अपील की, लेकिन भाजपा का आरोप है कि उनकी सरकार हिंसा को प्रायोजित कर रही है। ममता ने दावा किया कि हिंसा पूर्व नियोजित थी और इसमें भाजपा, बीएसएफ, और केंद्रीय एजेंसियों का हाथ है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता अभिषेक बनर्जी ने भी विपक्ष पर अशांति फैलाने का आरोप लगाया।
राष्ट्रपति शासन का आधार और संवैधानिक प्रक्रिया
राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) तब लागू किया जा सकता है, जब राज्य सरकार संवैधानिक रूप से काम करने में विफल हो या कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाए। सुप्रीम कोर्ट के 1994 के एस.आर. बोम्मई मामले में यह स्पष्ट किया गया कि इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। पश्चिम बंगाल में हिंसा और पलायन की खबरें गंभीर हैं, लेकिन क्या यह संवैधानिक संकट का स्तर है? केंद्र सरकार ने बीएसएफ और CAPF की तैनाती कर स्थिति नियंत्रित करने की कोशिश की है, और डीजीपी ने दावा किया कि हालात काबू में हैं।
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मेरा विचार
पश्चिम बंगाल में हिंसा और प्रशासनिक कमियों की खबरें चिंताजनक हैं, लेकिन राष्ट्रपति शासन एक चरम कदम है। हिंसा को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती और सख्त कानूनी कार्रवाई पर्याप्त हो सकती है। ममता सरकार का कानून न लागू करने का रुख संवैधानिक रूप से गलत है, क्योंकि वक्फ समवर्ती सूची का विषय है। फिर भी, बर्खास्तगी से पहले केंद्र को जांच और संवाद के रास्ते अपनाने चाहिए। यदि हिंसा अनियंत्रित होती है, तो राष्ट्रपति शासन एक विकल्प हो सकता है, लेकिन इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से बचना होगा।