भारत-चीन संबंधों में नया मोड़: बीजिंग ने साझेदारी की जताई इच्छा

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बीजिंग/नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से चले आ रहे सैन्य गतिरोध के समाधान के बाद चीन ने भारत के साथ रिश्तों को मजबूत करने की इच्छा जताई है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में “सकारात्मक प्रगति” हुई है और ड्रैगन (चीन) और हाथी (भारत) का साथ आना ही सही विकल्प है।

सीमा विवाद के बाद संबंधों में सुधार

वांग यी ने चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के सत्र के दौरान अपने संबोधन में कहा कि “भारत और चीन एशिया के दो सबसे बड़े देश हैं और सहयोग से ही दोनों आगे बढ़ सकते हैं।” उन्होंने माना कि सीमा पर विवादों के बावजूद, दोनों पक्षों ने बातचीत के जरिए कई मुद्दों को सुलझाया है।

उन्होंने कहा, “हम भारत के साथ काम करने को तैयार हैं, ताकि आपसी मतभेदों को कूटनीतिक तरीके से हल किया जा सके और आर्थिक तथा व्यापारिक सहयोग को मजबूत किया जा सके।”

व्यापार और रणनीतिक संबंधों पर जोर

चीनी विदेश मंत्री ने भारत-चीन व्यापार को और बढ़ाने की भी वकालत की। 2023 में भारत और चीन के बीच व्यापार 135 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, जिसमें चीन का निर्यात अधिक था। वांग यी ने यह भी संकेत दिया कि बीजिंग “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)” में भारत की भागीदारी को लेकर नए तरीके से चर्चा करने को तैयार है।

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भारत की प्रतिक्रिया का इंतजार

हालांकि, भारत की ओर से अभी इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। भारतीय विदेश मंत्रालय पहले भी कह चुका है कि “सीमा पर शांति और स्थिरता द्विपक्षीय संबंधों की बुनियाद है।” विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सतर्कता बरतते हुए चीन के इस प्रस्ताव पर विचार करेगा।

भविष्य की राह

भारत और चीन के बीच हाल के वर्षों में सीमा विवाद और व्यापारिक तनाव ने रिश्तों को प्रभावित किया है, लेकिन बीजिंग का यह नया रुख दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नई दिशा तय कर सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि भारत इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या दोनों देश अपने मतभेदों को सुलझाकर भविष्य में सहयोग बढ़ाने की ओर कदम बढ़ाएंगे।


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